मारिया ग्राज़िया गुल्लो – मास्सिमा लोंगो
सुपर-हर्बी और स्मार्टी लोमड़ी
सुरेश कांत द्वारा अनूदित
एम. जी. गुल्लो – एम. लोंगो
कॉपीराइट © 2019 एम. जी. गुल्लो – एम. लोंगो
आवरण-चित्र और ग्राफिक्स
मास्सिमो लोंगो द्वारा सृजित और संपादित
सर्वाधिकार सुरक्षित।
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सुपर हर्बी और स्मार्टी लोमड़ी
एक बार एक मुर्गीख़ाने में, वसंत ऋतु के दौरान, जब सभी अंडों से चूजे निकल चुके थे, कुछ अद्भुत घटित हुआ, या शायद यह कुछ अशुभ था?
सभी चमकीले पीले चूजों के बीच घास का एक गुच्छा चल रहा था : लेकिन वह वास्तव में घास का गुच्छा नहीं था!
यह सबसे अजीब घटना थी, जो कभी मुर्गीख़ाने के भीतर ही नहीं, बल्कि
पूरे समुदाय के भीतर घटित हुई थी! यह समझने के लिए कि क्या हुआ है, चूजों की रखवाली करने वाली मुर्गी को दखल देना पड़ा। उसे खुद घास के उस गुच्छे का पीछा करना पड़ा : कौन जानता था कि यह उसके झुंड में कैसे आ गया था? उसने पूरे परिसर में उसका पीछा करना शुरू कर दिया और तब तक करती रही, जब तक उसे यह महसूस नहीं हो गया कि घास का वह नन्हा गुच्छा चीं-चीं कर रहा है।
अपने पूरे जीवन में कभी भी उस मुर्गी ने चीं-चीं करता हुआ घास का गुच्छा नहीं देखा था, हालाँकि वह पिछली कई वसंत ऋतुओं में चूजे पैदा कर चुकी थी और एक इज्जतदार रखवालन रही थी।
कहीं घास के उस गुच्छे में कोई चूजा तो नहीं फँस गया?
शायद कोई नन्हा-मुन्ना चूजा...
जब उसका लक्ष्य एक चोंच भर ही दूर था, और मुर्गी उसे चोंच मारने ही
वाली थी, तभी घास के उस गुच्छे में से एक हरे चूजे का चेहरा झाँका।
मुर्गी ने धीरे से उसे अपनी चोंच से सहलाया और देखा कि उसके पंख हरे हैं। शायद गंदे हो जाने के कारण?
लेकिन यह इतना गंदा कैसे हो गया?
और कहाँ से हो गया?
यह अभी-अभी अपने खोल से बाहर निकला है और मेरे साथ ऐसी गंदी चाल चल रहा है!
उसने उसे गरदन से पकड़ लिया और खींचकर उसे कुंड में नहलाने के लिए ले चली, जिसमें एल्युमिनियम का एक छोटा-सा बरतन था, जो
आग के धुएँ के कारण बाहर से काला हो गया था, लेकिन भीतर से अभी भी सुनहरा और चमकदार था।
और वह उसे लगातार धो रही थी, लेकिन यह देखकर उसकी परेशानी का ठिकाना नहीं रहा कि उसका हरापन खत्म ही नहीं हो रहा था।
वह चमकदार था, अच्छी तरह से तैयार था, लेकिन अभी भी हरा ही था।
और इस तरह उसने उसका नाम रखा हर्बी—यानी हर्ब (घासपात) जैसा हरा।
हर्बी इस स्थिति से स्पष्ट रूप से परेशान था।
जैसे ही वह अपने अंडे के खोल से बाहर निकला था, वह हिल गया था और दाएँ-बाएँ उछल गया था। वह पैदा होने की एकमात्र अच्छी चीज का
भरपूर फायदा नहीं उठा पाया था : कॉर्नफ़्लेक्स से अपना पेट भरना।
वह अचरज में था कि इतना शानदार और स्वादिष्ट भोजन किस रसोइये ने बनाया होगा?
जैसे ही मुर्गी ने उसे जमीन पर रखा, उसके नन्हे पैरों ने धूल का एक बादल उठाया, और वह उसे वापस भोजन की जगह पर ले आई।
किसी अन्य चूजे ने उसकी मौजूदगी पर ध्यान नहीं दिया : वे सब खाने में व्यस्त थे। उन खाऊ चूजों में से कोई भी इस डर से अपना सिर नहीं उठा रहा था कि कोई उसके हिस्से के कुछ दाने न झटक ले।
मुर्गी, जो अभी भी उस घटना से सदमे
में थी, बाड़े की गप्पी मुर्गियों से सलाह लेने के लिए दौड़ गई।
ऐसा कुछ किसी पुरानी मुर्गी के साथ भी जरूर हुआ होगा।
उनमें से उम्र में सबसे बड़ी मुर्गी ने सुझाव दिया कि वह उन अंडों के खोल जाँचे, जिनमें से चूजे निकले थे, हो सकता है वह मुर्गी का बच्चा न हो।
दूसरी ओर, एक हक्की-बक्की मुर्गी बोली :
“क्या तुम्हें यकीन है कि वह साँप नहीं है?”
“चोंच और नन्ही कलगी वाला साँप?” रखवालन ने पूछा।