थोर की आँखें फटी रह गयी।
“आप यह कैसे जानते हैं”
“लड़के, मैं दुनिया के बारे में ऐसी बातें जानता हूँ जो तुम कभी नहीं जान पाओगे। कम से कम अभी तक तो नहीं।”
थोर को उनसे कदम मिलाते हुए ताज्जुब हो रहा था।
“हालांकि, तुम सुनोगे नहीं। यह तुम्हारी प्रकृति है। बिलकुल जिद्दी। अपनी माँ की तरह। तुम तो बस दृढ निश्चय के साथ अपनी भेड़ को बचाने उसके पीछे जाओगे ही।”
आर्गन ने उसकी सोच को पढ़ लिया था तो थोर का चेहरा लाल हो गया।
“तुम एक सख्त लड़के हो,” उन्होंने आगे ने कहा। “दृढ-संकल्प वाले। बहुत स्वाभिमानी। सब सकारात्मक गुण है। लेकिन यही एक दिन तुम्हारे पतन का कारण होगा।”
आर्गन थोड़े और ऊपर की ओर चढ़ने लगा, और थोर भी उनके पीछे चल दिया।
“तो तुम राजा की सेना में शामिल होना चाहते हो?”
“जी हाँ,” थोर ने उत्सुकता से कहा। “क्या मुझे एक मौका मिल सकता है? क्या आप इसे संभव कर सकते है?”
आर्गन जोर से हंसने लगे, उसकी गहरी और भद्दी आव़ाज से थोर के शरीर में कंपकपी दौड़ गयी।
“मैं चाहूँ तो सब कुछ या फिर कुछ भी नहीं कर सकता। तुम्हारा भविष्य तो पहले से ही तय है। लेकिन तुम्हें तय करना है, तुम किसका चयन करते हो।”
थोर को कुछ समझ नहीं आया।
वे चोटी के शिखर पर पहुँच गए थे, वहां आर्गन रुके और थोर की ओर मुखातिब हुए। थोर बस उनसे केवल एक ही फीट की दूरी पर था, और आर्गन से आ रही ऊर्जा का प्रवाह उसे जला रहा था।
“तुम्हारा भविष्य काफी महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कहा। “इसकी उपेक्षा मत करो।”
थोर की आँखें फटी रह गयी। उसका भाग्य? महत्वपूर्ण? उसको अब गर्व की अनुभूति हो रही थी।
“मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा। आप तो पहेलियों में बात करते हैं। कृपा करके मुझे और भी बताईए।”
आर्गन गायब हो चुका था।
थोर का मुँह खुला रह गया। उसने भौचक्का हो कर हर ओर ध्यान से देखा। क्या सब उसकी कल्पना थी? कोई भ्रम था? थोर चोटी के शिखर पर खड़ा हो कर, अपने लाभ की सोचते हुए, जहां तक उसकी दृष्टि जाती उसके परे वो जंगल खंगालने लगा। उसे थोड़ी दूर पर कुछ हिलता हुआ नज़र आया। उसे एक आव़ाज सुनाई दिया, और उसे विश्वास हो गया कि यह बस उसकी भेड़ थी।
वह जंगल के रास्ते वापस ध्वनि की दिशा में, काई से भरे रास्ते में से ठोकर खाते हुए जल्दी से नीचे की ओर चला गया। जाते-जाते वह आर्गन के साथ उसकी मुलाक़ात को भुला नही पा रहा था। उसे तो विश्वास ही नहीं था कि ऐसा भी कुछ हुआ है। कहीं ओर ना हो कर राजा का पुरोहित इस जगह क्या कर रहा था? वे तो उसी का इन्तज़ार कर रहे थे। लेकिन क्यों? और उसके भाग्य के बारे में से उनका क्या मतलब था?
थोर जितना ये सब समझना चाह रहा था उतना ही उलझ रहा था। आर्गन ने उसे लालच भी दिया और साथ ही आगे ना बढ़ने के लिए चेतावनी भी। अब जब वो आगे को बढ़ रहा था, थोर को एक सशक्त पूर्वाभास का अनुभव हुआ, मानो कुछ महान कार्य घटित होने वाला हो।
जब उसने मुड़ के देखा तो सामने का नज़ारा देख कर वहीँ जड़वत हो गया। अब तक के सारे दू:स्वप्न जैसे सच हो गए थे। उसके रोंगटे खड़े हो गए थे, उसे अब एहसास हो गया था की जंगल के इतने भीतर आ कर उसने बहुत बड़ी गलती कर दी थी।
उसके सामने बस तीस कदम की दूरी पर सीबोल्ड था। वह काफी मजबूत था, देखने में एक घोड़े के बराबर था, पूरे जंगल में इसे सबसे खतरनाक माना जाता है, शायद पूरे राज्यभर में। उसने इसकी कथाएँ तो सुन रखी थी लेकिन असली में कभी देखा नहीं था। यह तो देखने में एक शेर जैसा था, लेकिन उससे भी बड़ा, चौड़ा, इसकी चमड़ी चमकीली लाल और आँखें पीली और प्रकाशमान थी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि उसे उसका लाल रंग मासूम बच्चों के खून से मिला है।
थोर ने ऐसे जानवर की कथाएँ तो सुन रखी थी, और ये सब बातें भी सच हो जरूरी नहीं था। वो शायद इसीलिए था क्योंकि इसके साथ मुठ्भेड के बाद कभी कोई जिन्दा बचा ही नहीं हो। कुछ तो सीबोल्ड को जंगल का भगवान् मानते थे, और एक संकेत भी। यह संकेत भला क्या हो सकता था। थोर को इसका कोई अनुमान नहीं था।
वह सावधानी से पीछे हट गया।
सीबोल्ड का जबड़ा आधा खुला हुआ था, जहरीले दांत से लार गिर रही थी, और वह अपनी पीली आँखों से उसे घूर रहा था। गायब हुई भेड़ उसके मुँह में थी: वो उसके मुंह में उल्टा लटकी हुई थी, मिमियाते हुए उसके आधे शरीर पर उसके दांत गढ़े हुए थे। वो तो बस जैसे मर गया था। ऐसा लग रहा था जैसे सीबोल्ड को अपने शिकार को मारते हुए मज़ा आ रहा था, वो भी धीरे-धीरे।
थोर को अपनी भेड़ का मिमियाना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। भेड़ कराह रही थी, असहाय सी और इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार मान रहा था।
थोर को लग रहा था कि उसे तो बस वहां से भागना चाहिए, लेकिन वो जानता था कि यह प्रयास बेकार होगा। यह जानवर तो किसी को भी भागने में पछाड़ सकता था। भागने से तो वो और भी उद्दंड हो जाएगा। और वो अपने भेड़ को यूं ही मरने के लिए नहीं छोड़ सकता था।
वो डर से वहीँ जम गया, और जानता भी था कि उसे अब कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।
वो प्रतिक्रिया के लिए तैयार हो गया। उसने धीरे से अपने थैले में से एक पत्थर निकाला और गुलेल पर चढ़ा दिया। कांपते हाथों से उसने निशाना साधा, एक कदम आगे बढ़ाया और फिर वार कर दिया।
पत्थर हवा में लहराता हुआ अपने निशाने पर लग गया। एकदम सटीक निशाना। वह भेड़ की पुतलियों से होता हुआ उसके दिमाग में धंस गया।
भेड़ ठंडी पड़ गई। वह मर गयी थी। थोर ने भेड़ को सभी पीड़ा से मुक्त कर दिया था।
अपने खिलौने को मरते देख सीबोल्ड थोर पर आग बबूला हो गया। उसने धीरे से अपने जबड़े खोल दिए और भेड़ को नीचे गिरा दिया, भेड़ नीचे जमीन पर धम से गिर पड़ी। और उसके बाद उसने अपनी नजरें भेड़ पर गड़ा दी।
वह जोर से दहाड़ा, उसकी वो आव़ाज मानो जैसे उसके पेट के अंदर से निकली हो।
जैसे ही वो उसकी ओर लपका, थोर ने, धड़कते दिल से अपने गुलेल पर एक और पत्थर चढ़ा दिया और एक बार फिर निशाना साधने के लिए तैयार हो गया।
सीबोल्ड अब छलांगें लगाता हुआ दौड़ने लगा, इतना तेज़ कि थोर ने कभी भी अपने पूरे जीवन में किसी को ऐसे दौड़ते नहीं देखा था। यह प्रार्थना करते हुए कि निशाना सटीक हो, थोर ने एक कदम आगे को बढ़ाया और गुलेल से पत्थर दे मारा, वो जानता था कि उसे एक बार और गुलेल पर निशाना साधने का मौका नहीं मिलेगा।
पत्थर जानवर की दाहिनी आँख पर जा लगा और उसे भेद दिया। यह काफी जबरदस्त था, अगर कम ताकतवर जानवर होता तो घुटने टेक देता।
लेकिन यह तो कोई साधारण जानवर नहीं था। इसे रोकना नामुमकिन था। चोट लगने से वो अब दहाड़ने लगा, लेकिन शांत बिलकुल नहीं हुआ। एक आँख के चले जाने के बाद, बावजूद इसके कि उसके दिमाग में पत्थर धंसा हुआ था, वो थोर की ओर लपक पडा। थोर अब कुछ भी नहीं कर सकता था।
एक निमिष के बाद तो वो जानवर बिलकुल थोर के ऊपर था। उसने अपने बड़े पंजों को उसके कंधों पर दे मारा।
थोर चीख पडा। उसे ऐसा लगा मानो उसके मांस को तीन-तीन चाक़ू से काटा गया हो, गरम खून की धारा तुरंत ही बह निकली।
जंगली जानवर ने उसे ज़मीन पर गिरा दिया, वह उसके चारों पैरों तले दबा हुआ था। भार इतना ज्यादा था जैसे कोई हाथी उसकी छाती पर खड़ा हो। थोर को लगा उसकी हड्डी-पसली चरमरा रही हो।
जंगली जानवर ने जोर से अपने सर को पीछे की ओर किया, उसने अपने जहरीले दांत दिखाते हुए अपने जबड़ों को पूरा खोल दिया और थोर की गर्दन की ओर बढाने लगा।
जैसे उसने मुँह बढ़ाया थोर ने बढ़ कर उसके गर्दन को पकड़ लिया; यह बिलकुल सख्त मांसपेशी को पकड़ने जैसा था। जैसे-जैसे उसके दांत नीचे की ओर आते गए उसकी बांह कांपने लगी। उसने उसकी गर्म साँसों को अपने पूरे चेहरे पर महसूस किया, उसकी लार टपक कर गर्दन पर गिर रही थी। एक गहरे तेज दहाड़ ने थोर के कानों को जला दिया। उसे मालूम था कि अब वो नहीं बचेगा।
थोर ने अपनी आँखें बंद कर ली!
हे भगवान्, दया करो। मुझे शक्ति दो। मुझे इस जानवर से लड़ने की ताकत दो। दया करो। मैं तुमसे भीख मांगता हूँ। तुम जो कहोगे मैं वो सब करूंगा। मुझ पर आपका बहुत बड़ा उपकार होगा।
और तभी कुछ हुआ। थोर को अपने अन्दर, अपने नब्जों के भीतर बहुत तेज़ गर्मी की अनुभूति हुई, जैसे भरपूर ऊर्जा उसमें आ गयी हो। उसने अपनी आँखें खोली और उसने कुछ जैसा देखा जिसे वो चौंक गया: उसके हथेलियों से पीली रौशनी निकल रही थी, और जब उसने जंगली जानवर की गर्दन को पीछे धकेला, तो अद्भुत रूप से, उसमें इतनी शक्ति थी कि उसे वो अपने से दूर पकडे रख सकता था।
थोर उसे तब तक धकेलता रहा जब तक वो वास्तव में उसे पीछे की ओर धकेल पाया। उसकी शक्ति बढ़ गयी थी और उसे अपने में तोप के गोले जैसी ऊर्जा की अनुभूति हुई – और फिर तुरंत ही जंगली जानवर पीछे की ओर, दस फीट दूर जा गिरा। वो अपनी पीठ के बल गिरा था।
थोर उठ कर बैठ गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।
जानवर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। और फिर, गुस्से से धधकता हुआ वो एक बार फिर लपका – लेकिन इस बार थोर को कुछ अलग सा महसूस हुआ। उसमें ऊर्जा का प्रवाह धधक उठा, वो अपने आपको इतना शक्तिशाली महसूस करने लगा जैसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ।
जैसे ही जंगली जानवर उसकी ओर लपका, थोर नीचे को झुक गया, और फिर उसे उसके पेट से पकड़ कर जोर से उसी की गति से फेंक दिया।
जंगली जानवर जंगल के अन्दर एक पेड़ से टकरा कर जमीन पर गिर पड़ा।
थोर भौचक्का हो कर देखता रहा। क्या उसने सीबोल्ड को सच में अभी पटक दिया था?
जंगली जानवर ने दो बार पलकें झपकाई, और थोर की ओर देखने लगा। वह फिर से उठा और एक बार फिर लपक पड़ा।
इस बार जैसे ही जंगली जानवर उसकी ओर लपका, थोर ने उसे उसकी गर्दन से पकड़ लिया। दोनों ही ज़मीन पर गिर पड़े, जानवर थोर के ऊपर था। लेकिन थोर ने पलटी खा कर उसके ऊपर आ गया। जानवर अपने सर को उठा कर बार-बार उस पर अपने दांत गढ़ाने की कोशिश करता रहा, ऐसे में थोर ने उसे पकडे रखा, वो अपने दोनों हाथों से उसका दम घोंट रहा था। वो बस चूक गया था। थोर को एक नयी शक्ति का एहसास हुआ, उसने अपने हाथों को जोर से कस दिया और उसे जाने नहीं दिया। उसने उस ऊर्जा को अपने अन्दर आने दिया। और फिर जल्द ही वह अपने आप को उस जानवर से भी ताकतवर महसूस करने लगा।
वो सीबोल्ड का दम घोंट कर उसे मारने की कोशिश कर रहा था। आखिरकार, जानवर निर्जीव हो गया।
थोर ने पूरे एक मिनट के लिए अपनी पकड़ को बनाए रखा।
वह सांस लेने की कोशिश करता हुआ धीरे से उठ कर खड़ा हो गया, फटी आँखों से नीचे की ओर देखते हुए, उसने अपनी जख्मी बांहों को थाम रखा था। अभी यहाँ क्या हुआ था? क्या उसने, थोर ने, अभी सीबोल्ड को मार दिया था?
उसे लगा, बाकी दिनों से अलग आज के दिन, यह एक संकेत था। उसे लगा जैसे कुछ महान काम हो गया था। उसने अभी – अभी अपने राज्य के सबसे खूंखार और डरावने जंगली जानवर को मार दिया था। बिना किसी हथियार के, वो भी अकेले। यह सब सच नहीं लग रहा था। कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं करेगा।
वो सोच रहा था ऐसी कौन सी शक्ति थी जिसका वो गुलाम हो गया था, इस सबका क्या मतलब था, वो कौन था, उसकी पूरी दुनिया जैसे घूम रही थी। ऐसे माना जाता है कि केवल राज पुरोहितों को ही ऐसी शक्ति हासिल है। लेकिन उसके माता-पिता तो कोई पुरोहित नहीं थे, इसका मतलब वो भी पुरोहित नहीं हो सकता।
या फिर क्या हो सकता?
उसे लगा कोई उसके पीछे है, जैसे ही पलटा उसने आर्गन को वहां खड़े पाया जो जानवर को घूर रहा था।
“आप यहाँ कैसे आये?” थोर ने चौंक कर पुछा।
आर्गन ने उसे अनदेखा कर दिया।
“अभी यहाँ जो हुआ, क्या आपने देखा?” थोर ने अविश्वसनीय रूप से पुछा। “मैं नहीं जानता मैंने यह सब कैसे किया।”
“लेकिन तुम जानते हो” आर्गन ने जवाब दिया। “अन्दर ही अन्दर तुम यह जानते हो। तुम ओरों से अलग हो।”
“यह बस एक.... शक्ति प्रवाह जैसा था,” थोर ने कहा। “ऐसी शक्ति जिसे मैं भी नहीं जानता था कि मुझ में है।”
“ऊर्जा से भरा मैदान,” आर्गन ने कहा। “एक दिन तुम यह सब बहुत अच्छे से जान जाओगे। तुम इसे नियंत्रित करना भी सीख जाओगे।”
थोर ने अपनी बाहों को थामा, उसे बहुत पीड़ा हो रही थी। उसने देखा की उसका हाथ खून से भर गया था। उसका सिर चकरा रहा था, उसे चिंता थी कि यदि मदद ना मिली तो क्या होगा।
आर्गन तीन कदम आगे बढ़ा और थोर के करीब आकर उसके दुसरे हाथ को उसके चोट के ऊपर रख दिया। उसने उसका हाथ पकडे रखा, पीछे हट कर उसने अपनी आँखें मूँद ली।
थोर को अपनी बाजुओं में एक गर्म प्रवाह का आभास हुआ। और फिर पल भर के अन्दर ही उसके हाथ में लगा चिपचिपा खून सूख चुका था, उसे लग रहा था जैसे पीड़ा भी फीकी पड़ गई हो।
उसने अपने आप को देखा और कुछ भी समझ नहीं सका: वो पूरा ठीक हो गया था। वहां तो बस पंजों के तीन निशान रह गए थे – लेकिन वो भरे हुए और बहुत पुराने लग रहे थे। वहां अब और खून भी नहीं था।
थोर ने आर्गन की ओर चौंक कर देखा।
“आपने यह कैसे किया?” उसने पुछा।
आर्गन बस मुस्कुरा दिया।
“मैंने नहीं किया। तुमने किया। मैंने तो बस तुम्हारी शक्ति को दिशा दी है।”
“लेकिन मुझ में तो कोई ऐसी शक्ति नहीं जिसे चोट ठीक हो जाए,” थोर ने परेशान हो कर ने कहा।
“अच्छा तो तुम में नहीं है?” आर्गन ने जवाब दिया।
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है,” थोर ने बेहद बेसब्री से कहा। “कृपा कर के मुझे बताईए ना।”
आर्गन ने दूसरी और को मुँह कर लिया।
“कुछ बातें तुम्हें समय के साथ सीखनी चाहिए।”
“अच्छा! तो क्या इसका मतलब है कि मैं राजा की सेना में भर्ती हो सकता हूँ?” उसने उत्सुकता से पूछा। “क्यों नहीं, यदि मैं सीबोल्ड को मार सकता हूँ तो मैं अन्य सभी लड़कों के मुकाबले में अपने आप को साबित कर सकता हूँ।”
“बिलकुल तुम कर सकते हो,” उन्होंने जवाब दिया।
“लेकिन उन्होंने तो मेरे भाईयों को चुना है – उन्होंने मुझे नहीं चुना।”
“तुम्हारे भाई जंगली जानवर को मार नहीं सकते।”
थोर ने कुछ सोचते हुए पलट कर देखा।
“लेकिन उन्होंने तो मुझे पहले से ही अस्वीकृत कर दिया है। मैं अब उसमें कैसे शामिल हो सकता हूँ?”
“अच्छा, तो कब से वीरों को निमंत्रण भेजा जाता है?” आर्गन ने पुछा।
इन शब्दों का गहरा असर हुआ। थोर को लगा उसके शरीर में गर्मी आ गयी थी।
“तो क्या आपका कहना है की मैं बस यूं ही चला जाऊं? बिना निमंत्रण के?”
आर्गन मुस्कुरा दिए।
“तुम अपना भाग्य खुद लिखते हो। बाकी लोग नहीं।”
थोर ने अपनी पलकें झपकाई – और फिर एक क्षण बाद, आर्गन जा चुका था। फिर से।
थोर हर दिशा में देखते हुआ पलटा, लेकिन कहीं उनका नामो-निशान नहीं था।
“मैं यहाँ हूँ!” एक आवाज़ आई।
थोर ने पलट कर देखा और बस उसे एक बड़ा सा पत्थर ही दिखा। उसे लगा की आवाज ऊपर से आई है, और वो तेज़ी से पत्थर पर चढ़ने लगा।
ऊपर पहुँच कर वो ये देख कर चौंक गया की आर्गन वहां नहीं था।
इस जगह से उसे जंगल के पेड़ों के ऊपर तक दिखाई दे रहा था। जहां जंगल ख़त्म होता है, उसे वो दिखाई दिया, ढलता सूरज दिखाई दिया और उसके पीछे उसे वो मार्ग दिखाई दिया जो राजा के दरबार तक जाता था।
“यह मार्ग तुम्हारे लिए ही है” आवाज आई। “यदि हिम्मत है तो।”
थोर ने घूम कर देखा पर वहां कुछ नहीं था। वह तो बस एक आवाज़ थी जो गूँज रही थी। लेकिन वो जानता था कि आर्गन यहीं कहीं है, जो उसे आगे बढ़ने के लिए उकसा रहा था। और अब उसे लग रहा था कि वो बिलकुल सही था।
एक पल भी गंवाए बिना थोर बड़े से पत्थर से नीचे उतरा और जंगल से हो कर दूर को जाते मार्ग पर चल पड़ा।
वह अपने भाग्य की ओर छलांगें भर रहा था।
अध्याय तीन
राजा मैकगिल – बलवान, मजबूत छाती वाला, स्लेटी लंबे बालों के साथ घनी दाढ़ी, और कई लड़ाइयों के जख्मों से युक्त चौड़ा माथा - अपने महल की ऊपरी प्राचीर पर बगल में अपनी रानी के साथ खड़े हुए दिन के उत्सव को अनदेखा कर रहे थे। एक संपन्न शहर प्राचीन पत्थर दुर्गों में घिरी उसकी शाही जमीन जहाँ तक आँखें देख सकती, उसके नीचे उसकी महिमा में बिछी पड़ी थी। राजा का दरबार। हर आकार के पत्थर की इमारतें घुमावदार सड़कों की भूलभुलैया से बैठ परस्पर योद्धाओं, रखवाले, घोड़े, सिल्वर, सेना, रक्षकों, बैरकों, हथियारों, शस्त्रागार और भीड़ के लिए आवास जिनमें सैकड़ों लोगों ने शहर की दीवारों के भीतर रहने का फैसला किया है। इन सड़कों के बीच एकड़ में फैली घास, शाही उद्यान, पत्थर-बिछे प्लाजा, बहते हुए फव्वारे। राजा के दरबार का पहले उसके पिता, और उनके पिता द्वारा सदियों से सुधार किया गया था, और अब वह अपनी महिमा के शिखर पर अब बैठ गया था। बिना शक, यह अब रिंग के पश्चिमी राज्य के भीतर सबसे सुरक्षित गढ़ था।